हस्त-मुद्रायें

योग के साथ-साथ हमारे ऋषिमुनियों ने शरीर को स्वस्थ, मन को शांत एवं तेजस्वी स्वरूप को हमारे जीवन में उजागर किया है। जिसके पीछे कई रहस्य छुपे हैं उन्हीं में से एक रहस्य हस्थ-मुद्रा है। पहले ज़माने में इन्हीं हस्त-मुद्रा के जरिये ये अपनी बिमारियों का समाधान किया करते थे, अनेक बिमारियों के लिए वे अनेक हस्त-मुद्रयं जानते थे, परंतु में आपको उनमे से कुछ मुद्राओं के बारे में आपको बताने जारहा हूँ, जो की आपके लिए काफी लाभदायक साबित होगा बस आपको इन्हें नियमित रूप से करना होगा, हस्त मुद्रा में पांच तत्व होते है

१. पृथ्वी, २. जल, ३. अग्नि, ४. वायु, और ५. आकाश, हमारे शरीर के ये पांच तत्व होते हे जब भी इनमे से कोई भी तत्व असंतुलित होता हे तब हम अस्वस्थ महसूस करते हैं।










१.ज्ञान-मुद्रा:
अंगूठे को तर्जनी अँगुली के सिरे पर लगा दे शेष तीनो उँगलियों को चित्र के अनुसार सीधे रखें इस प्रकार करने से, आपकी दिमाग की शक्ति बढ़ती हे, याद करने और पड़ने में मन लगता है सिर-दर्द की समस्या दूर होती है इस मुद्रा को करने से पहले यह ध्यान रखें की आप किसी भी प्रकार के नशे वाली चीजों का सेवन न करे जैसे शराब, तम्बाकू और सिगरेट आदि एवं अधिक ठंडा जाल न पियें


२. वायु-मुद्रा:

तर्जनी अंगुली को मोड़ कर रखे और उसे अंगूठे से चित्र के अनुसार मोड़ ले और बाकि तीनो अंगुली सीधे रखें ऐसा करने से घुटने,रीढ़ और गर्दन का दर्द ठीक होता है अगर लकवा  हो तो वो भी ठीक होता है अगर इससे लाभ न हो तो प्राण मुद्रा करें




३. आकाश-मुद्रा:



मध्यमा अंगुली को अंगूठे के अग्र भाग से मिलाये बाकि की तीनों अँगुलियों को सीधे रखें यह कान के लगभग सभी प्रकार के रोगों को दूर करता है ध्यान रहे यह मुद्रा चलते फिरते या खाना खाते वक्त न करें और लाभ हो जाने तक ही करें







. शून्य-मुद्रा:



मध्यमा अंगुली को मोड़कर अंगूठे से दबाएं इससे थायराइड,गले के रोग ठीक हो जाते है, इसे करने से कानो को सही सुनाई  देने में फायदा होता है और मसूढ़े मजबूत होते हैं





. पृथ्वी-मुद्रा:

अनामिका अंगुली को अंगूठे से लगाये बाकी चित्र के अनुसार करें यह शरीर की सुंदरता को बढ़ाता है और स्फ्रूर्ति लाता है विटामिनों की कमियों को दूर करता हे और पाचन क्रिया ठीक करता हे








६ सूर्य-मुद्रा:


अनामिका अंगुली को अंगूठे से मिलकर दबायें जैसे कि चित्र में दिया है ऐसा करने से शरीर संतुलित होता है खून का कोलस्ट्रोल और मोटापा कम करता है और शक्ति का विकास होता है यह मुद्रा मधुमेह और जिगर के रोगों को दूर करता है ध्यान रखें की दुर्बल व्यक्ति इसका प्रयोग न करें और गर्मियों में इसका प्रयोग ज्यादा न करें

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