योग

सबसे पहले हमें यह जानना होगा आखिर योग क्या है।
योग एक हिंदू आध्यात्मिक एवं तपस्वी अनुशासन है जिसमे सांसो को नियंत्रण रखना, धियान लगाना  और अलग अलग प्रकार के शारीरिक आकृति बनाकर व्यापक रूप से स्वस्थ रहने और आरामदायक जीवन बनाने का प्रयास किया जाता है।

हम अब बात करते है की योग कैसे करे और कोन सा समय उचित होगा योग करने के लिए आपको एक समय सुनिश्चि करना होगा जैसे प्रातः कल और संध्याकाल कोई भी समय आप निश्चित कर सकते हे ज्यादातर लोग प्रातःकाल में ही योग को करते हैं।

योग को करते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए;

  • अगर आप आस्वस्थ महसूस करते हो जैसे आपके कमर में दर्द हो या आपको किसी भी प्रकार की बीमारी हो जैसे बुखार या कोई भी बीमारी हो तो आप उस समय योग का उपयोग न करे और कमर दर्द के लिए कोई भी आसान न करें जब तक कि आपको आराम न हो।
  • योग करने से एक घंटे पहले और एक घंटे बाद तक पानी और भोजन का उपयोग न करें।
  • आप योग करने के लिए शांत वातावरण और खुली जगह का प्रयोग करें।
  • आप बिना जानकारी के कोई भी आसन सुरू न करें जब तक की आपको उसके लाभ का मालूम न हों ।
https://www.youtube.com/watch?v=cnKZit6VB44

सूर्य नमस्कार!
'सूर्य नमस्कार' का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।

सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है,

यदि आपके पास समय की कमी है, और आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्ख़ा ढूँढ रहे हैं, तो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है।

सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है। आइए अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के इन सरल और प्रभावी आसनों को आरंभ करें।


प्रत्येक सूर्य नमस्कार के चरण में १२ आसनों के दो क्रम होते हैं I १२ योग आसन सूर्य नमस्कार का एक क्रम पूर्ण करते हैं  सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वो ही क्रम दोहराना होता है, अपितु केवल दाहिने पैर के स्थान पर बाएँ पैर का प्रयोग करना होगा (नीचे चौथे और नवें पद में इसका विवरण दिया गया है)| सूर्य नमस्कार के विभिन्न प्रारूप पाए जाते हैं, हालाँकि बेहतर यही है कि किसी एक ही प्रारूप का अनुसरण करें और उसी के नियमित अभ्यास से उत्तम परिणाम पाएँ।

अच्छे स्वास्थ्य के अतिरिक्त सूर्य नमस्कार धरती पर जीवन के संरक्षण के लिए हमें सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले 10 दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार और कृपा का भाव रखकर प्रारंभ करें।

12 सूर्य नमस्कार और दूसरे योग आसनों को करने पश्चात योग निद्रा में पूर्ण विश्राम अवश्य करें। आप पाएँगे कि यह आपके चुस्त दुरुस्त, प्रसन्न और शांत रहने का मंत्र बन गया है; एक मंत्र जिस का प्रभाव दिन भर आप के साथ रहेगा।

सूर्य नमस्कार के १२ आसन:

  • प्रणाम आसन 
  • हस्तउत्तानासन  
  • हस्तपाद आसन 
  • अश्व संचालन आसन 
  • दंडासन 
  • अष्टांग नमस्कार 
  • भुजंग आसन 
  • पर्वत आसन 
  • अश्वसंचालन आसन
  • हस्तपाद आसन
  • हस्तउत्थान आसन
  • ताड़ासन 


प्रणाम आसन:

अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखेंI
श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ

हस्तउत्तानासन:


श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर पेशियों (बाइसेप्स) को कानों के समीप रखें इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?

अपने कूल्हे को आगे की तरफ धकेल कर यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगलियों के साथ ऊपर की ओर जा रहे हैं ना कि पीछे की तरफ मुड़ रहे हैं।

हस्तपाद आसन:



श्वास छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजो के समीप ज़मीन पर रखें

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ

हथेलियों को ज़मीन तक लाने में अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं, और अब घुटनों को सीधा करने का एक सौम्य प्रयास करें। जब तक सूर्य नमस्कार का यह क्रम पूरा ना हो जाए तब तक अपने हाथों की इस स्थिति को इसी स्थान पर स्थिर रखें I

अश्व संचालन आसन:



श्वास लेते हुए जितना संभव हो दाहिना पैर पीछे ले जाएँ, दाहिने घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं, दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाएँ I

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? सुनिश्चित करें कि बायां पैर दोनों हथेलिओं के बीच में रहे।

दंडासन:




श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें I

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? अपने हाथ ज़मीन के लंबवत रखें I

अष्टांग नमस्कार:



आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें I अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ I पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ I

अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे
भुजंग आसन:



आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँI कुहनियाँ मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ

श्वास लेते हुए छाती को आगे की तरफ धकेलने का सौम्य प्रयास करेंI श्वास छोड़ते हुए नाभि को सहजता से नीचे की ओर दबाएँI पैरों की उंगलियों को भी नीचे की तरफ दबाएँ। यह सुनिश्चित करें कि जितना कर सकते हैं उतना ही करें, अपने साथ ज़बरदस्ती ना करें।
पर्वत आसन:



श्वास छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी ^ के आकार में आ जाएँ

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? यदि संभव हो तो एड़ियों को ज़मीन पर ही रखें और रीढ़ के निचले भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करेंI खिंचाव को गहराई से अनुभव करें
अश्वसंचालन आसन:




श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैंI दृष्टि ऊपर की ओर रखेंI

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? दाहिने पंजे को दोनो हाथों के बीच में रखें और दाहिनी पिंडली को ज़मीन के लंबवत रखेंI कूल्हों को नीचे की तरफ ले जाने का प्रयास करें ताकि खिंचाव को गहराता हुआ अनुभव किया जा सके
हस्तपाद आसन:



श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने देंI अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? धीरे से घुटनों को सीधा करें और अगर संभव हो तो अपनी नाक से घुटनों को छूने का प्रयास करें, और श्वास लेते रहें
हस्तउत्थान आसन:



श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।

इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ? सुनिश्चित करें कि कान बाजू से सटे हों और खिंचाव ऊपर की ओर हो, न कि पीछे की ओर।
ताड़ासन:



श्वास छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें फिर हाथों को नीचे लाएँI इस अवस्था में विश्राम करें और शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजगता ले आएँI





    हस्त-मुद्रायें

    योग के साथ-साथ हमारे ऋषिमुनियों ने शरीर को स्वस्थ, मन को शांत एवं तेजस्वी स्वरूप को हमारे जीवन में उजागर किया है। जिसके पीछे कई रहस्य छुपे हैं उन्हीं में से एक रहस्य हस्थ-मुद्रा है। पहले ज़माने में इन्हीं हस्त-मुद्रा के जरिये ये अपनी बिमारियों का समाधान किया करते थे, अनेक बिमारियों के लिए वे अनेक हस्त-मुद्रयं जानते थे, परंतु में आपको उनमे से कुछ मुद्राओं के बारे में आपको बताने जारहा हूँ, जो की आपके लिए काफी लाभदायक साबित होगा बस आपको इन्हें नियमित रूप से करना होगा, हस्त मुद्रा में पांच तत्व होते है

    १. पृथ्वी, २. जल, ३. अग्नि, ४. वायु, और ५. आकाश, हमारे शरीर के ये पांच तत्व होते हे जब भी इनमे से कोई भी तत्व असंतुलित होता हे तब हम अस्वस्थ महसूस करते हैं।










    १.ज्ञान-मुद्रा:
    अंगूठे को तर्जनी अँगुली के सिरे पर लगा दे शेष तीनो उँगलियों को चित्र के अनुसार सीधे रखें इस प्रकार करने से, आपकी दिमाग की शक्ति बढ़ती हे, याद करने और पड़ने में मन लगता है सिर-दर्द की समस्या दूर होती है इस मुद्रा को करने से पहले यह ध्यान रखें की आप किसी भी प्रकार के नशे वाली चीजों का सेवन न करे जैसे शराब, तम्बाकू और सिगरेट आदि एवं अधिक ठंडा जाल न पियें


    २. वायु-मुद्रा:

    तर्जनी अंगुली को मोड़ कर रखे और उसे अंगूठे से चित्र के अनुसार मोड़ ले और बाकि तीनो अंगुली सीधे रखें ऐसा करने से घुटने,रीढ़ और गर्दन का दर्द ठीक होता है अगर लकवा  हो तो वो भी ठीक होता है अगर इससे लाभ न हो तो प्राण मुद्रा करें




    ३. आकाश-मुद्रा:



    मध्यमा अंगुली को अंगूठे के अग्र भाग से मिलाये बाकि की तीनों अँगुलियों को सीधे रखें यह कान के लगभग सभी प्रकार के रोगों को दूर करता है ध्यान रहे यह मुद्रा चलते फिरते या खाना खाते वक्त न करें और लाभ हो जाने तक ही करें







    . शून्य-मुद्रा:



    मध्यमा अंगुली को मोड़कर अंगूठे से दबाएं इससे थायराइड,गले के रोग ठीक हो जाते है, इसे करने से कानो को सही सुनाई  देने में फायदा होता है और मसूढ़े मजबूत होते हैं





    . पृथ्वी-मुद्रा:

    अनामिका अंगुली को अंगूठे से लगाये बाकी चित्र के अनुसार करें यह शरीर की सुंदरता को बढ़ाता है और स्फ्रूर्ति लाता है विटामिनों की कमियों को दूर करता हे और पाचन क्रिया ठीक करता हे








    ६ सूर्य-मुद्रा:


    अनामिका अंगुली को अंगूठे से मिलकर दबायें जैसे कि चित्र में दिया है ऐसा करने से शरीर संतुलित होता है खून का कोलस्ट्रोल और मोटापा कम करता है और शक्ति का विकास होता है यह मुद्रा मधुमेह और जिगर के रोगों को दूर करता है ध्यान रखें की दुर्बल व्यक्ति इसका प्रयोग न करें और गर्मियों में इसका प्रयोग ज्यादा न करें

    घरेलू उपचार

    बालों की समसिया को सुलझाएं

    • नीबू के बीजों पर नीबू निचोड़ कर उन्हें पीस ले और उस लेप को आप उस जगह (गंज) पर लगाएं जहा   से बाल उड़रहे हों चार पांच महीने लेपलगाने से बाल वापस आजाते हैं।
    • आँवले को नीबू के रस में पीस कर बालों की जड़ में लगाने से बाल लंबे घने होते हे।
    • प्याज को पीसकर रस निकाले और प्याज के रस को अधा घंटा बालों पर लगे रहने दे आधे घंटे के बाद केवल पानी से सर को धोएं और याद रहे किसी प्रकार का साबुन या शेम्पू का यूज़ न करे और ऐसा रोज-रोज ना करें हफ्ते में एक-दो बार ही करें दो महीने में आपको फर्क महसूस होने लगेगा ।
    • कनेरकी जड़ की छाल और लौकी दस दस प्रत्येक दूध पीसकर इसका लेप सर पे लगाए बालों का झड़ना बंद होजायेगा ।
    • तुलसी के सूखे पत्ते  एवं आँवले के चूर्ण को पानि में भिगोये और उस पानी से सर धोये इससे आपके बाल झड़ना बंद हो जाएंगे एवं बालाओं को सफ़ेद होना भी बंद हो जाएंगे ।
    कुछ स्त्रियों और पुरुषों में असामान्य तरीके से बाल उग जाते है जैसे पिट पे बाल उगना कंधों पे,कान पे बालों का उगना ऐसी अनेक समसिया का समाधान हैं।
      • कुसुमबका तेल की मालिश करने से बाल दूर किये जा सकते हैं।
      • हरताल एक भाग तथा शंक का चूर्ण २ भाग पीस कर लेप करने से भी बालो को दूर किया जा सकता हैं।
      • नहाते वक्त प्यूमिस स्टोन का उपयोग करे यह सबसे उचित विधि हे बालो को दूर करने की ।



      • मूहँ की बदबू - मुहँ की बदबू को दूर करने के लिये आनर के छिलका सुखाकर-पीसकर चूर्ण बना लें और सुबह-शाम एक-एक ग्राम की मात्रा में पानी से लें मुँह की बदबू दूर होजायेगी और दो सफ्ता ऐसा करें।

      • उलटी - एक गिलास पानी में एक नीबू का रस मिलाये भुना और पिसा हुआ जीरा मिलाये और एक पिसी ।इलायची मिलाके हर आधे घंटे में पियें उलटी बंद हो जायेगी।

      • सिरदर्द - नीबू के छिलके को पीस कर उसका लेप सर पे लगाने से सिरदर्द दूर होता हे।

      स्वास्थ रहने के साथ-साथ एक पार्ट टाइम बिज़नेस-वेस्टीज

      लीडिंग डायरेक्ट सेलिंग वेस्टीज मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत सन २००४ में हुई थी जो हेल्थ और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स को डायरेक्ट सेल करती है।

      अगर आप पार्ट टाइम वर्क करना चाहते है। तो बिल्कुल वेस्टीज एक ऐसा बिज़नेस है, जो हरेक व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए किसी प्रकार की एजुकेशन की जरूरत नहीं है। आज हजारों अनपढ़ वियक्ति इस बिज़नेस के जरिये बहुत पैसा कमा रहे हैं और वह अपने जीवन में वेस्टिज के माध्यम से वह सब कुछ हाशिल कर रहे हे जो की एक बहुत पढेलिखे व्यक्ति भी नहीं कर पाते है।
      सच मानिये दोस्तों में ऐसे कई व्यक्तियों को जनता हूँ। जो पहले ऑटो रिक्शा या जिनपे रहने के लिए घर तक नहीं था, न वह अछि अंग्रेजी बोलते थे, न वे बहुत पढेलिखे थे। पर जब उन्होंने वेस्टिज को ज्वाइन किया तो वह हर मुकाम को पाते गये आज उनके पास मोटरसाइकिल,चार पहिये वाली गाडी,घर और तो और आज वह वेस्टीज के माध्यम से विदेशो तक घूमने गए है।

      वेस्टीज एक ऐसा बिज़नेस है। जिसमे आपका कोई घाट नहीं होता बल्कि फायदा ही फायदा है। इसमें रिस्क की गुंजाइस ना के बराबर है। सच मनो तो वेस्टीज जरूर आपकी लाइफ स्टाइल को बदल देगा बस जरुरत है। तो

      राइस ब्रान आयल

      राइस ब्रान आयल बहुत ही हल्का तेल है यह खाना बनाते वक़्त कड़ाही में चिपकता नहीं है और डीप-फ्राई(अधिक आँच) पे यह जलता नहीं है कुकिंग के लिए अत्ति उत्तम और पोस्टिक भी है राइस ब्रान आयल न्यूजीलैंड में सबसे पहले २००६ में डेवलप्ड हुवा था जो आज खाना बनाने का एक उत्तम तेल माना जाता है इस तेल का निर्माण चावल के छिलकों से किया जाता है
      ओडिशा में चावल की खेती सबसे ज्यादा होती है अत्यधिक चावल के पैदावार होने के कारन  यहाँ राइस ब्रान आयल का उत्पादन सबसे अधिक किया जाता है भारत में आज सबसे महंगा कुकिंग आयल विदेशों में भेजा जाता है तो वह राइस ब्रान आयल ही है












      राइस ब्रान आयल के कुछ फायदे:

      वेस्टीज फ्लैक्स सीड आयल



      आज जैसा की हम सभ जानते हें कि हार्ट-अटैक और कैंसर यह दोनों बीमारियां विश्वभर में चर्चाओं का विषेय बनता जा रहा हैं क्यों की इलाज का महँगा होना और उचित समय पर इलाज न होने पर यह रोग अत्याधिक घातक शिद्ध होता है 

      आज पुरे विश्व में ज्यादा तार लोग दुर्भाग्यपूर्ण इन्ही बिमारियों का सामना कर रहे है। इन बीमारियों का होने का कारन सिर्फ यह हे की असंतुलित खान-पान और बीड़ी,सिगरेट और मदिरा का सेवन करना हे इस बदलते समय में फ़ास्ट फ़ूड भी एक बड़ा कारन है जो अत्यअधिक प्रचलन में हे लोग बर्गर,डोसा,चाउमिन और तिक्की इत्यादि को बड़े चाव से खाते है। जिसमे बासी सब्जी और सस्ते आयल का उपयोग किया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है।

      फ्लैक्स पौधे के बीजों से बनाये तेल को फ्लैक्स सीड आयल कहते हैं यह तेल हमारे स्वस्थ के लिए अति उत्तम माना जाता हैं, फ्लैक्स बीज को linseed भी कहते है भारत में इसे आम जुबान में अलसी का तेल भी कहते है। इसका इतिहास ५ हजार साल से भी पुराना माना जाता है। कहते हैं, की स्वस्थ रहने के लिए पहले के लोग